प्रेयसी! मेरा हाथ पकड़ो
साँझ को
दिन से उबने दो
थोड़ा-सा
सूरज को डूबने दो
मल्लाहें थक कर
तटों पर नाव बाँध चले
समुद्र के किनारे-किनारे
दोनों नंगे पाँव चले
जुगनूओं की बारात
खेतों के ऊपर नाचे
घोसलें में कोयल
प्रेम-गीत बाँचे
देख कर जहाँ तुम्हें
चाँद की रोशनी खूब जले
प्रेयसी! मेरा हाथ पकड़ो
ऐसी जगह घूमने चले।