प्रेम
मुझे प्रेम हो गया है
पर मेरा तो विवाह हो गया
विवाह प्रेम का लक्ष्य है क्या
तो फिर
प्रेम पूर्णता है
अर्थ इच्छा आदि इत्यादि
की आवश्यकता
मात्र शब्द है
प्रेम प्राण है,दान है
आनन्द है
समझना बंद कर दो
तो व्यक्त है
नही तो मात्र
प्रश्न चिन्ह ।