प्रेम
प्रेम शांति है ,
प्रेम संवेदना है ।
प्रेम समृद्धि है ,
प्रेम वन्दना है ।
प्रेम अचेतन की चेतना है ,
अंतर्मन की भावना है ।
ईश्वर की प्रेरणा है ,
शांति और सद्भावना है ।
प्रेम तरंगें है ,
हृदय की सागर में उठती हुई लहरें है ।
प्रेम संचार है ,
शुभ और सुखद समाचार है ।
प्रेम अनुभूति है ,
एक दूजे के प्रति सहानुभूति है ।
प्रेम उन्मुक्त आकाश है ,
हम दोनो विचरण करते पंक्षी है ।
✍️ समीर कुमार “कन्हैया”