प्रेम
प्रेम…..
ना अल्फ़ाज़ों का मोहताज
ना खामोशी का ग़ुलाम
गुफ़्तगू से परे है प्रेम ।
ना तारीख़ों का गुलदस्ता
ना तोहफ़े का फूल
यादों का खूबसूरत बाग़ीचा है प्रेम ।
ना मंज़िल है
ना रास्ता है
खुद ही खुद का हमसफ़र है प्रेम ।
ना तुझ मे है
ना मुझ मे है
हम में सिमटा सा है प्रेम ।
ना इजहार – ए – इश्क़
ना इंतज़ार – ए – मोहब्बत
जज़्बातों का समंदर है प्रेम ।
ना वादों की ज़रूरत
ना शर्तों की माँग
निभा सको जो रिश्ता उम्र भर वो है प्रेम ।
ना किस्मत है
ना भाग्यरेखा है
कर्मों में छिपा है प्रेम ।
ना आरम्भ है
ना अंत है
अंतर्मन का अनंत भाव है प्रेम ।
ना अधूरा सा है
ना टूटा सा है
कल भी पूरा था आज भी पूरा है प्रेम ।