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1 Feb 2024 · 1 min read

प्रेम

टूट कर भी जुड़े प्रीत की डोर है
लाख चाहें न मुड़ती किसी ओर है
प्रेम मरता नहीं कर जुदा दे भले
सांस अंतिम भी करती न कमजोर है

@सुस्मिता सिंह ‘काव्यमय’

Language: Hindi
134 Views
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