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11 Jun 2023 · 1 min read

प्रेम…

प्रेम
एक निर्मल, निश्छल, अनुपम
अद्भुत एहसास है, आनंद है
तन का, मन का…
पर….
प्रेम श्रापित भी है,
अभिशप्त भी
नियति है इस की अधूरा रह जाना,
सुलगना, तड़पना, सिसकना
और..
दिलों में मचलते अरमानों का
फ़ना हो जाना

हिमांशु Kulshreshtha

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