प्रेम
एक कविता
प्रेम
दर्शन है
कोई
प्रदर्शन नहीं
प्रेम
संस्कृति है
कोई
संस्कार नहीं
प्रेम
शजर की छाँव है
कोई
शाख का पत्ता नहीं
प्रेम
आत्मा है मधुरता की
कोई
साज का तार नहीं
प्रेम
मधुवन है ख्वाबों का
कोई
अमावस की रात नहीं
प्रेम
हकीकत है दुनिया की
कोई
गुजरी कहानी नहीं
प्रेम
गीत है मेरे अश्कों का
कोई
मेरे होठों की मुस्कान नहीं
प्रेम
अहसास है इबादत का
कोई
पल दो पल की इल्तजा नहीं
संदीप शर्मा “कुमार”