प्रेम
प्रेम तो एक बहती नदिया
जहाँ झुकाव वही बह जाती हैं !
सागर को मान प्रेम पड़ाव
वही लगाव वही रह जाती है !
बना बांध रोक दो कही
तोड़ बांध बाढ़ सी बढ़ी जाती हैं !
सागर मिलन की यही तड़प
प्रेमी मन में भी पढ़ी जाती है !
प्रेम तो एक उड़ता बादल
जहाँ हवा वही उड़ जाता है !
प्रेमी की प्यास बुझाने खुद
मिट के बूंदो से जुड़ जाता है !
प्रेम तो एक खिलता फूल
एक फूल दो मन में है खिलता !
एक फूल महके दो मन महकते
एक प्रेमफूल अनोखा दो में मिलता !
प्रेमपूजा बड़ी पूजा से
जिसमें ना केवल दर्शन है पाना !
प्रेमी के दर्शन पाकर
बस प्रेमी में ही समा है जाना !
प्रेम मधुर संगीत की धुन
बजे मन में हरपल पल-पल !
प्रेमधुन गाये जो मन
उसमें प्रेमधारा बहे कल-कल !
प्रेम है परीक्षा पर्यन्त
उत्तर जिसके सभी है आना !
यहाँ प्रेम परीक्षा पर्याय
बस परीक्षा में ही रह है जाना !
प्रेम ही है जीवन
प्रेम ही जीवन को देता है अर्थ !
प्रेम विहीन जीवन ये
जीवन लगता है व्यर्थ !
प्रेम सर्वोच्च प्रेम ही सर्वश्रेष्ठ
प्रेम सर्वोपरि प्रेम ही सर्वोत्तम !
प्रेम के एक-एक क्षण
एक-एक पल जीवन के उत्तम !
~०~
मौलिक एंव स्वरचित : कविता प्रतियोगिता
रचना संख्या-२३ जीवनसवारो,जून २०२३.