प्रेम ही का गांव हो
प्रेम ही का गांव हो
प्रीत की मिले डगर
पलकों की छांव हो
और हो लंबा सफर
प्रेम प्रीत का ही हो मंदिर शहर शहर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्रेम ही का गांव हो
प्रीत की मिले डगर
पलकों की छांव हो
और हो लंबा सफर
प्रेम प्रीत का ही हो मंदिर शहर शहर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी