Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2020 · 1 min read

प्रेम सापित है …

कुछ लोग वहीं खड़े रह जाते हैैं आजन्म
जिस जगह से फूटती है
किसी विशेष के
मन के छुअन से
प्रेम की गंगोत्री …
प्रेम सापित है …
प्रेम में भोगना ही होता है
दर्द और बिछोह
करना ही पड़ता है
अंतिम सांस तक बट जोह
कुछ लोग बाट जोहते रह जाते हैं
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 508 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3908.💐 *पूर्णिका* 💐
3908.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रंगों का महापर्व होली
रंगों का महापर्व होली
इंजी. संजय श्रीवास्तव
Oh life ,do you take account!
Oh life ,do you take account!
Bidyadhar Mantry
.
.
*प्रणय*
नहीं मतलब अब तुमसे, नहीं बात तुमसे करना
नहीं मतलब अब तुमसे, नहीं बात तुमसे करना
gurudeenverma198
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
भरे हृदय में पीर
भरे हृदय में पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
अहंकार
अहंकार
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
दहकता सूरज
दहकता सूरज
Shweta Soni
पुरुष प्रधान समाज को गालियां देते हैं
पुरुष प्रधान समाज को गालियां देते हैं
Sonam Puneet Dubey
हैं फुर्सत के पल दो पल, तुझे देखने के लिए,
हैं फुर्सत के पल दो पल, तुझे देखने के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आकर्षण और मुसाफिर
आकर्षण और मुसाफिर
AMRESH KUMAR VERMA
*सीधे-सादे चलिए साहिब (हिंदी गजल)*
*सीधे-सादे चलिए साहिब (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
" बीता समय कहां से लाऊं "
Chunnu Lal Gupta
माँ जब भी दुआएं देती है
माँ जब भी दुआएं देती है
Bhupendra Rawat
* मुस्कुराना *
* मुस्कुराना *
surenderpal vaidya
दूरी और प्रेम
दूरी और प्रेम
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
VEDANTA PATEL
नवसंकल्प
नवसंकल्प
Shyam Sundar Subramanian
SV3888 - Đăng nhập Nhà Cái SV3888 Casino Uy Tín. Nạp rút tiề
SV3888 - Đăng nhập Nhà Cái SV3888 Casino Uy Tín. Nạp rút tiề
SV3888
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
कवि दीपक बवेजा
खुद का मनोबल बढ़ा कर रखना पड़ता है
खुद का मनोबल बढ़ा कर रखना पड़ता है
Ajit Kumar "Karn"
आंखों में तिरी जाना...
आंखों में तिरी जाना...
अरशद रसूल बदायूंनी
लालच
लालच
Dr. Kishan tandon kranti
ऐसे ही थोड़ी किसी का नाम हुआ होगा।
ऐसे ही थोड़ी किसी का नाम हुआ होगा।
Praveen Bhardwaj
दूरियां भी कभी कभी
दूरियां भी कभी कभी
Chitra Bisht
उसका आना
उसका आना
हिमांशु Kulshrestha
आज कल इबादते इसी कर रहे है जिसमे सिर्फ जरूरतों का जिक्र है औ
आज कल इबादते इसी कर रहे है जिसमे सिर्फ जरूरतों का जिक्र है औ
पूर्वार्थ
Loading...