प्रेम शहादत दोनों का दिन
प्रेम शहादत दोनों का दिन
प्यार प्रेम, उत्सर्ग शहादत सब अपनाओ आज दोस्तो…
प्रेम – शहादत दोनों का दिन आज मनाओ खाश दोस्तो…
प्रेम नहीं होगा यदि दिल में तो उत्सर्ग कहां पनपेगा..
राष्ट्र प्रेम उर अंतर ना हो पुलवामा बलि कौन चड़ेगा..
मातृ भूमि हित मर जाने का भाव जगाओ आज दोस्तो…
प्रेम – शहादत दोनों का दिन आज मनाओ खाश दोस्तो…
कर्म योग यदि मात्र सत्य है तो कान्हा क्यों रास रचाए..
पुष्प वाटिका राम सिया उर क्यों गिरिजा ने भाव जगाए..
सीता राम नेह बिन संभव, था क्या रावण नाश दोस्तो…
प्रेम – शहादत दोनों का दिन आज मनाओ खाश दोस्तो…
बलिदानों पर हमें गर्व है अपनी तो यह परिपाटी है..
पन्ना धाय ना विस्मृत होती ना विस्मृत हल्दी घाटी है..
प्यार और बलिदान समन्वित भारत की पहचान दोस्तो…
प्रेम – शहादत दोनों का दिन आज मनाओ खाश दोस्तो…
भारतेन्द्र शर्मा “भारत”
धौलपुर, राजस्थान