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13 Jul 2020 · 1 min read

प्रेम रोग नहीं ओषधि है ।

कौन कह रहा प्रेम है मुश्किल,
आंख बंद कर देख रहा हूँ ।
स्वप्न में रोज मुलाकाते है ।
प्रेम रस भरी बातें है ।
नहीं जरूरी सामने आये,
हम आंखों से ही बतियाए।
हृदय में भरा प्यार का प्याला,
वह ही जाने जो है रखवाला।
छिपकर छवि मैं देख रहा हूँ ।
प्रेम न कोई रोग रोक है ।
प्रेम न कोई दोष रोष है ।
यह जीवन की औषधि है ।
सबकी अपनी अपनी परिधि है ।
✍ विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 227 Views
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