प्रेम राहें गुमराह
*** प्रेम राहें गुमराह ****
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चाँद तारे सारे गवाह है
तेरे बिना जीवन सवाह है
आसमां में दामिनी दमकती
गिरे जो भू पर सब तबाह है
फलक पे पयोधर हैं गरजते
न बरसे तो फसले तबाह है
प्यार में सौदेबाजी होती
प्रेम राहें अब गुमराह है
दर बदर रहें ठोकरें खाते
कहीं न मिल पाए पनाह है
मनमर्जियाँ सदा रहें करते
न माने किसी की सलाह है
खुदगर्जियाँ हो गई भारी
घर घर बनी हुई दरगाह है
सुखविंद्र भटकता रहता है
मिल ना पाए कोई राह है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)