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16 May 2023 · 1 min read

प्रेम-रस रिमझिम बरस

हरा रंग,
अंग-अंग,
मैं चली,
प्रीतम संग
मिलन को;

पिया गगन,
श्याम वर्ण,
मनमोहन,
मचल रहा दिल,
छुअन को;

प्रेम रस,
रिमझिम बरस,
प्यासा दिल,
कह दो
सजन को;

पिया संग,
अंग-अंग,
डूब जाऊंँ,
उर्वर बनूंँ,
नवजीवन को।

मौलिक व स्वरचित
©® श्री रमण
बेगूसराय (बिहार)

Language: Hindi
2 Likes · 73 Views
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