प्रेम रंग मैं
प्रेम रंग में रंगी चुनरिया, दूजा रंग चढे अब कैसे ।
मैं तो हो गई अपने पिया की ,मन मैं और बसे अब कैसे।।
सुन्दर चितवन मेरे सजन की ,चंदा भी सरमाये।
एकटक देखूँ मुखड़ा उसका ,पलकें मैं झपकाऊ कैसे ।।
अंग से अंग लगा लो सांवरिया तन के भेद मिटा दो।
बादल तुम बन जाओ कान्हा, नाचूँ बन मै मोरनी जैसे ।।
बन बन घूमू भयी बावरी , अब तो दरस दिखा दो।
तुम हो प्यारे चन्द्र मनोहर,देखूँ नित मैं चकोरन जैसे ।।
जनम जनम की प्यासी हूँ मैं, नैनन नीर पिला दो ।
मैं राधा बरसाने की हूँ, तुम हो बृज के भंवरे जैसे ।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा ( मध्य प्रदेश)
9479611151