प्रेम यहाँ कण-कण में है।
राधा कृष्णा की भूमि है ये,
प्रेम यहां कण-कण में है।
प्रेम यहां की मिट्टी में
तरुवर में और जल में है।
है कृष्ण यशोदा प्रेम यहां
जो अमर सूर के गीतों में
गोपी कान्हा का प्रेम यहां
है अद्भुत सब रीतों में।
सखा प्रेम बेजोड यहां
कृष्ण सुदामा और कहां
आदर्श मित्रता यहां है जो
ऐसा मानक है और कहां
प्रेम यहां लिप्सा न कोई
प्रेम यहां आराधन है।
कृष्ण जन्मभूमि से बढ़
तीर्थ धाम वृन्दावन है।
राधा जी की प्रीति पे तो
सब ज्ञान जगत निधि अर्पित है।
ईश कृष्ण त्रिभुवन धारक
सदा राधा संग समर्पित हैं ।
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यह भूमि रघुकुल की है
जो जग में मर्यादा लाये।
ऐसा जीवन आदर्श गढ़ा
जन जन के मन में छाये।
जब मां ने उन्हें वनवास दिया
एक प्रश्न नहीं वो उर लाए ।
आदेश विमाता सिर धर कर
सब त्याग राम वनवास गये।
मां सीता भी श्री राम के संग
सहचरी बन प्रभु साथ गयीं।
न किया प्रश्न अन्याय ये क्यों
सब कुछ सहर्ष स्वीकार गयीं।
मातृ पितृ पति प्रति श्रद्धा का
ये सब बेजोड़ उदाहरण है ।
लखन लाल भी भातृ प्रेम का
अनुपम एक उदाहरण है ।
मां सीता प्रभु राम ने भी
सर्वोच्च प्रेम आधार गढ़े
खग मृग लता विटप पादप
सब हैं इसके साक्ष्य बने ।
ऐसा पावन आदर्श प्रेम
निज संस्कृति विरासत है।
इसको लघुता में मत आंको
यहां प्रेम अति व्यापक है ।