प्रेम भाव
प्रेम भाव
नारी शक्ति महान है
नारी से जग जहान है
दया का अथाह सागर
ममता की अक्षय गागर है ।
बेटी बन नन्हें हाथो-बातों से
सारी थकान मिटाती है
बहन बन अपने भाई की
सारी बलाएं ले लेती है ।
बन भार्या अपने पति की
सुख- दुःख में साथ निभाती है
माता तो अपने बच्चों की
सारी विपदाएं हर लेती है ।
नारी में वो दिव्य शक्तियाँ है
जो हर संकट हर लेती है
बन मूक धरती माँ सदा
छाती पर सब कुछ सहती है।
नारी धरा पर तो क्या
देवलोक में भी महान है
नारी साक्षात शक्ति है
शक्ति बिना शिव शव समान है ।
पति प्रेम हेतू अनुसुय्या ने
तड़ित-ताड़िका को भगाया था
सीता को रावण छू ना पाया
उन्होंने पति प्रेम दर्शाया था ।
ललिता कश्यप सायर डोभा
जिला बिलासपुर (हि0 प्र0)