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6 May 2023 · 1 min read

प्रेम भरे कभी लिखते खत थे

प्रेम भरे कभी लिखते खत थे
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प्रेम भरे कभी लिखते खत थे,
कुछ उनके कुछ मेरे मत थे।

ख्वाब में आकर जो भी कहा,
उन ख्यालों से हम सहमत थे।

फूलों की खुश्बू बातों भरी थी,
मीठे बोल जाम शरबत थे।

मन की बातें आंखें थी कहती,
बहाने प्यारे भरे हसरत थे।

बुरा न माना सुन झूठा बहाना,
बहुत दूर मुहाने नफरत थे।

प्रेम गली से मनसीरत गुजरे,
आते जाते करते कसरत थे।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
227 Views
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