प्रेम भँवर
मनमोहक है प्रेम की भाषा प्यारी लगती कानों को
अपना- सा एहसास कराती ये मधुरस बेगानों को,
कभी बहे जीवन में जैसे प्रेम की सरिता, प्रेम सरोवर
अमर लगे हर प्रेम की गाथा जब भी देखूं प्रेम धरोहर,
कभी लगे है प्रेम छलावा छल के जो चल जाए
हासिल ना हो उसी प्रेम को जग सच्चा बतलाए,
प्रेम है कृष्णा राधा का, या प्रेम है बावरी मीरा का
प्रेम है सच्चा सबरी का या प्रेम सिया रघुबीरा का,
प्रेम की भाषा प्रेम ही जाने प्रेम ज्यों एक पहेली
प्रेम किया सच्चा जिस जिसने विरह वेदना झेली,
प्रेम है ईश्वर प्रेम है पूजा प्रेम को प्रेम ही जाने
प्रेम भँवर की उलझन में भी सुलझे बहुत सयाने,
आप जो मानो वही प्रेम है वही प्रेम परिभाषा
इस दुनिया में प्रेम ही है बस आशाओं की आशा ?