प्रेम प्रीत
चाँद भी यही कहता चाँदनी यही सूनाती है,
प्रेम रंग में रंगी प्रीत याद तुम्हारी आती है ।
वो हंसो का जोड़ा प्रेमताल में प्रेमनाद करती है,
शांत सरोवर हिलोरे ले कलरव से गूँजित होती है ।
यह प्रेम दृश्य प्रियतमा जिवरा मेरा तड़पाती है,
प्रेम रंग में रंगी प्रीत याद तुम्हारी आती है ।
वो नीलकमल के जोडे खिले अकेले आभा काँति से,
आज जलाशय में फैल गये निश्छल रति शाँति से ।
ये कमल कलि मेरा हृदयस्थिति देख मुस्काति है,
प्रेम रंग में रंगी प्रीत याद तुम्हारी आती है ।
मछलियाँ मन मगन चंचल चाल चल रही है,
स्थिर शाँत सरोवर को नागिन नाच नचा रही है ।
तट किनारे मीनों का विचरना दाता को पास बूलाती है,
प्रेम रंग में रंगी प्रीत याद तुम्हारी आती है ।
चाँद भी यही कहता चाँदनी यही सूनाती है,
प्रेम रंग में रंगी प्रीत याद तुम्हारी आती है ।
••••••••••• दाता राम नायक