प्रेम प्रतीक्षा भाग 1
प्रेम – प्रतीक्षा
भाग-1
बात कोई ज्यादा पुरानी नहीं, यही कोई लगभग बीस बाइस साल पुरानी थी। सुखजीत सिंह जो कि हरियाणा प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहता था।उसका गाँव राजस्थान की सीमा के साथ लगता गांव था,जो कि रेत के छोटे छोटे टिब्बों से घिरा हुआ था और उस समय गाँव में पीने के पानी की बहुत समस्या थी।औरतों को पानी लेने के लिए गाँव के बाहर पीने के पानी का एकमात्र स्त्रोत कूँआ था, से लेने के लिए जाना पड़ता था।
सुखजीत का छोटा सा गांव जिला मुख्यालय से लगभग बीस किलोमीटर की दूरी पर पड़ता था और आवागमन एकमात्र साधन सरकारी टूटी फूटी बस थी ,जिसके सुबह शहर के लिए जाती थी और शाम को वापिस आ जाती थी,बीच में कोई समय नहीं था।राजेश अपने माता पिता का इकलौता लड़का था ।उसके पिता गुरमेल सिंह शहर की अनाजमंडी में पल्लेदारी का काम करता था और माता राज कौर गृहिणी के साथ सिलाई का कार्य भी करती थी, जिससे घर का सही गुजर बसर हो जाता था।
सुखजीत जिसको सारे घर व गाँव वाले प्यार से सुखी कहते थेजो कि पढाई में बहुत तेज था,गाँव के ही सरकारी उच्च विद्यालय में दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था।
उसका स्वभाव भी बहुत अच्छा और मिलनसार था,दूसरों की सहायता करने के लिए सदा तत्पर रहता था।अब की बार उसने दसवीं कक्षा की बॉर्ड की परीक्षा दी थी।सारे गांव वाले उसके बारे यही सोचते थे कि गरीब माँ बाप का लड़का जीवन में बहुत तरक्की करेगा और क्षेत्रमें गांव का नाम रोशन करेगा।
कहानी जारी…..।
सुखविंद्र सिंह मनसीरत