* प्रेम पथ पर *
** गीतिका **
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प्रेम के पथ पर कदम आगे बढ़ाएं।
सुप्त अपनी भावनाओं को जगाएं।
जान लेना कौन है अपना पराया।
व्यर्थ में यूं ही कभी ठोकर न खाएं।
आस के पंछी गगन में उड़ रहे जब।
जान लें फिर मंजिलें कैसे न पाएं।
प्यास मिटकर ही रहेगी देख लेना।
है जरूरी जो कहा उसको निभाएं।
बोझ मन का भी स्वयं हट जाएगा।
दूसरों का बोझ भी कुछ तो उठाएं।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २४/१२/२०२३