प्रेम पत्र
ये प्रेमपत्र नहीं मेरे दिल की ज़ुबां है
दिल में जो कुछ है बस वही कहा है
ना समझो तो इसमें कुछ भी नहीं है
गर समझो तो साथ चलने की राह है ।।
जिंदगी चल रही थी अभी तक
यूं ही गुज़र रही थी अभी तक
शायद तुम्हें ढूंढ रही थी अबतक
ज़िन्दगी में तू नहीं थी जबतक ।।
मेरा प्यार नहीं है फेसबुक
और वॉट्सएप वाला
तभी इस खत में अपना
हाल बयां कर रहा हूं
जो छुपा है इस दिल में
उसे बयां कर रहा हूं ।।
जबसे देखा है तुम्हे
दिल में कुछ हो रहा है
तुम मानो ना मानो
तुमसे प्यार हो रहा है ।।
ये जो झील सी आंखें है
इनमे डूब गया हूं मैं
होश नहीं है अब मुझे
प्यार में खो गया हूं मैं ।।
दोष सिर्फ मेरा ही नहीं है इसमें
गलती तेरे गालों के तिल की भी है
बात सिर्फ तेरी आंखों की नहीं
कुछ गफलत तो मेरे दिल की भी है ।।
ये मेरे उस दिल का पैगाम है
अब जिस पर बस तेरा नाम है
जो हो स्वीकार तुम्हें मेरा प्यार तो
ये दिल क्या जान भी तेरे नाम है ।।