प्रेम पत्र
********* प्रेम पत्र **********
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लड़की साईकिल से आती जाती
घर से स्कूल, स्कूल से घर जाती
पढाई लिखाई सखा संग मशगूल
ऐरों गैरों को की झांकी नहीं पाती
सरू जैसी लंबी कद काठी वाली
गौर वर्ण की छरहरी थी इठलाती
हरफनमौला हर कला मे पारंगत
सर्वत्र उपस्थिति थी दर्ज करवाती
नजरों से नजर कभी न मिलाती
आँखे नीची कर झट गुजर जाती
दीवाना दीवानगी में बहुत पागल
सुंदरता की देवी घास नहीं खाती
ताकता रह जाता अजनबी राह
बगल से सहेली संग गुजर जाती
हिम्मत जुटा पहुंचाया प्रेम पत्र
पर वह तो प्रेम प्रस्ताव ठुकराती
सखा हाथों से प्रेम पत्र उठवाया
काँपते हाथ से संभाली प्रेमभाती
प्रेम प्रस्तावना गाय को खिलाई
बदनामी भय से रह गई शर्माती
प्रेम पत्र को डकार गई थी गाय
प्रेमी की उपासना थी टूट जाती
मनसीरत प्रेम शैली रास न आई
तभी तो प्रेमी की प्रेमपींग गिराती
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)