प्रेम पत्र
****** प्रेम पत्र *******
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बीत गए वो दिन पुराने
प्रेम पत्र लिखते दीवाने
चोरी चोरी चुपके चुपके
लिखते थे वे प्रेम तराने
आँखों से कर के ईशारे
चिट्ठियां देते किसी बहाने
लिखते थे प्रेम भरी बातें
रख देते नीचे सराहने
बेसब्री से करते इन्तजार
मिलेंगे कब प्रेम दीवाने
लिखे शब्द बनाते जज्बाती
दिल पर लगा जाते निशाने
बच्चों हाथ थमा जाते पत्र
दर तक पहुंचाते दीवाने
खतों को बार बार चूम कर
बैठ जाते हम पढ़ने पढाने
पकड़े जाते पत्र हमारे
आ जाती थी अक्ल ठिकाने
चोरी जब थी पकड़ी जाती
बैठे रह जाते पैंद पैगाने
प्रेम फितूर था उतर जाता
बच जाते हमारे घराने
सुखविन्द्र ने प्रेम पत्र लिखे
अधूरे रह गए अफसाने
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)