प्रेम पत्र
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प्रेम पत्र जब लिखा ,जो मन में था सब लिखा।
खुद सजदे में रहे ,तुझ को अपना रब लिखा।
सरे राह तुम मिले,दिल में की फूल खिले
मिलना भी कैसा मिलना,रब ने था सबब लिखा।
प्रेम में सब कुछ भूले , प्यार का झूला झूले
बेबस हुये हम ,जब बीच में देखा मजहब लिखा।
उड़ गयी निंदिया,सोहे न माथे पर बिंदिया
मिले ही क्यूं हम दोनों,किस्सा था अजब
लिखा।
कर ली दोनों ने बेवफाई, पल्ले पड़ गई तन्हाई
इज्जत मां बाप की पहले, सब ग़ौरतलब लिखा
सुरिंदर कौर