प्रेम पत्नी से है सिर्फ पत्नी से,
प्रेम पत्नी से है सिर्फ पत्नी से,
पर लोलुपता ने बाहर खींच ले गया।
ये लोलुपता क्या होती है?
इमानदारी,वफा़दारी वो कहाँ गई।
लोलुपता में सब ताख पर,
डूब मरो बेशर्मों
कम-से-कम बच्चों का तो सोच लिया होता।
अब माफ़ी किस मुँह से और क्यों।
-लक्ष्मी सिंह