प्रेम नगरिया चलो री सजनी… !!
रंग-बिरंगी चादर ओढ़े, धरा का मन झूम रहा,
प्यार भी है विश्वास भी है, एक दूजे का साथ भी है,
प्रेम नगरिया चलो री सजनी, प्रेम नगरिया..!!
एक ही धारा, एक ही विचारा, प्यार मे ही खोजे आधारा,
राग-रंग का भेद न जाने, एक दूजे का बने सहारा,
प्रेम नगरिया चलो री सजनी, प्रेम नगरिया..!!
घणी मुश्किलें आयेगी सजनी, ठोकरे दर -दर की पाएंगे सजनी,
आपणो ऐसो साथ होवें, कि तुम बिन जी न पाएंगे सजनी,
प्रेम नगरिया चलो री सजनी, प्रेम नगरिया..!!
यार दोस्त भी भूल जाये तो, अपने भी हमें ना अपनाये तो,
तुम संकोच न करना मेरी जां, दुनिया नई बनायेगे अपनी,
आफत की पुड़िया को घोल के पी जायेगे हम,
प्यार की चादर ओढ़कर खुले अंबर के तले सो जायेगे हम,
प्रेम नगरिया चलो री सजनी, प्रेम नगरिया..!!
दुनिया के सारे रंजो ग़म भूल कर, जन्नत नयी सजायेंगे,
चलते -चलते प्यार की भाषा,सबको सीखा के जायेगे,
प्रेम नगरिया चलो री सजनी, प्रेम नगरिया..!!
❤Love Ravi❤