Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Oct 2023 · 1 min read

“प्रेम : दोधारी तलवार”

“प्रेम : दोधारी तलवार”
प्रेम एक दोधारी तलवार की तरह है, जिसे सीखना और चलाना आसान काम नहीं। जिसप्रकार विशाल जलराशि को समेटने के लिए सागर की गहराई आवश्यक है, उसी तरह गहरी भावनाओं वाले इंसान के हृदय में ही प्रेम टिकता है।

10 Likes · 6 Comments · 340 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

गांव और वसंत
गांव और वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हो विसर्जन
हो विसर्जन
Seema gupta,Alwar
चिरंतन सत्य
चिरंतन सत्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
रंग ही रंगमंच के किरदार होते हैं।
रंग ही रंगमंच के किरदार होते हैं।
Neeraj Agarwal
गीत गुरमत का रंग
गीत गुरमत का रंग
Mangu singh
बावजूद टिमकती रोशनी, यूं ही नहीं अंधेरा करते हैं।
बावजूद टिमकती रोशनी, यूं ही नहीं अंधेरा करते हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
आ
*प्रणय*
"पूनम का चांद"
Ekta chitrangini
"सुविधाओं के अभाव में रह जाते हैं ll
पूर्वार्थ
तू दूरबीन से न कभी ढूँढ ख़ामियाँ
तू दूरबीन से न कभी ढूँढ ख़ामियाँ
Johnny Ahmed 'क़ैस'
हमने तो अपने नगमों में
हमने तो अपने नगमों में
Manoj Shrivastava
जातियों में बँटा हुआ देश
जातियों में बँटा हुआ देश
SURYA PRAKASH SHARMA
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
शेखर सिंह
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
श्वासें राधा हुईं प्राण कान्हा हुआ।
Neelam Sharma
सत्य विवादों से भरा,
सत्य विवादों से भरा,
sushil sarna
राधा अष्टमी पर कविता
राधा अष्टमी पर कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
एसी कमरों में लगे तो, दीर्घ-आँगन पट गए (गीतिका )
एसी कमरों में लगे तो, दीर्घ-आँगन पट गए (गीतिका )
Ravi Prakash
शिक्षा का महत्व
शिक्षा का महत्व
Dinesh Kumar Gangwar
नफ़रतों का दौर कैसा चल गया
नफ़रतों का दौर कैसा चल गया
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
मुक्तक
मुक्तक
Akash Agam
सुबह सुहानी आ रही, खूब खिलेंगे फूल।
सुबह सुहानी आ रही, खूब खिलेंगे फूल।
surenderpal vaidya
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत
Sarfaraz Ahmed Aasee
3122.*पूर्णिका*
3122.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" इशारा "
Dr. Kishan tandon kranti
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
डॉक्टर रागिनी
होली
होली
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
दीप जलते रहें - दीपक नीलपदम्
दीप जलते रहें - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मोम की गुड़िया
मोम की गुड़िया
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
पिता का बेटी को पत्र
पिता का बेटी को पत्र
प्रीतम श्रावस्तवी
अपने जीवन में सभी सुधार कर सकते ।
अपने जीवन में सभी सुधार कर सकते ।
Raju Gajbhiye
Loading...