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17 Feb 2017 · 1 min read

ज्ञान-दीपक

सूर्य डरता ना कभी भी बदलियों के राज से।
कुछ समय तक छिपे पर वह पुनि उगेगा नाज से।
मग के पत्थर रोक सकते न कभी आलोक-डग।
ज्ञान-दीपक जगमगाते हर्ष बन ऋतुराज से।
………………………………….
✓इस मुक्तक को मेरी कृति “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” में भी पढ़ा जा सकता है।
✓”पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” कृति का द्वितीय संस्करण अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

बृजेश कुमार नायक

Language: Hindi
1 Like · 825 Views
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