” प्रेम दिवाना “
” प्रेम दिवाना ”
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तू छोड़ गयी मुंह मोड़ गयी
ना जाने क्यूं दिल तोड़ गयी
मै ढूंढा तुझको हर गली गली
बिन देखे मै बावरा हो गया हूं ।
तू ही तो मेरे दिल की धड़कन
मेरी चाहत की हो पागलपन
मै सोचू तुमको शाम सवेरे
बिन तेरे मै बंजारा हो गया हूं।
वो जुल्फो के साये में तेरे बैठे रहना
वो बन्द निगाहें ख्वाब सजाए रखना
तू दुल्हन बन जाए मेरे आंगन की
बिन तुम बिन मै पागल हो गया हूं ।
हर मंजिल तू मेरी हो गई
हर ख्वाब तुझी से पूरी हो गयी
मै आस लगाए कब तक बैठु
बिन तेरे मै मतवाला हो गया हूं ।
मै धूप छांव की बदली हूं
तू छुई-मुई की रानी है
यह तेरी मेरी प्रेम कहानी है
बिन तेरे मै आवारा हो गया हूं ।
खता क्या मुझसे हो गई
जो दूर तू मुझी से हो गई
नैनो से बहते पीर दर्द के
बिन तेरे मै दिवालिया हो गया हूं ।
******* सत्येन्द्र प्रसाद साह (सत्येन्द्र बिहारी)*******