प्रेम …….तुमसे प्रेम हुआ तो तुम्हारे प्रेम में महसूस हुए
प्रेम …….तुमसे प्रेम हुआ तो तुम्हारे प्रेम में महसूस हुए शब्दों को उकेरा हैं हमने परंतु जिन शब्दों को उकेर कर भी तुमसे कह नही पाती वो तुम्हारे प्रेम में मर्यादा है हमारी … तुम कहते हो न कि न सोचा करो ज्यादा, बात तुम्हारा है तो मान भी जाती हूं…..
दिमाग कहता है मत सोच उसे और ये दिल कहता है एक बार और ही सही सोच ही लेते हैं उसे।
पर मेरा प्रेम हमेशा कल्पनाओं से परे ही रहा है ..
मेरी अपनी पंक्तियों में तुम्हारा प्रेम और तुम्हारे स्मृतियों को सहेज कर रखना चाहती हूं, तुम्हारे बिना मेरी इन पंक्तियों का कोई अस्तित्व ही नही हैं ,जब कभी पढ़ोगे मेरी पंक्तियों को तो इन पंक्तियों में मिलेगा सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए ही सहेजा हुआ मेरा अथाह प्रेम बस मेरा अथाह प्रेम, और कुछ है भी तो नहीं मेरे पास..
मैंने हृदय से की गई ईश्वर के समक्ष प्रार्थनाओं में तुम्हारे प्रेम को इतनी शिद्दत से मांगा है कि मेरे जीवन में तुम्हारे प्रेम के अलावा और कोई ख्वाहिश रही नही अब यही सच है….तुम्हारे शख्सियत ऐसी हैं मुझमें कि हम तो उलझ कर हीं रह गए तुममे तुम्हारे सादगी में,और न जाने कितनी ही शायरियां इस उलझन में लिख डाली वरना ये कविताएं, शायरियां इतनी कहां आती थी हमें लिखना…ध्यान से सुन रहे हो न तुम मेरे जीवन की सभी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों में तुम्हारा प्रेम सबसे बड़ी उपलब्धि है यह जानो तुम
तुमसे प्रेम करके महसूस हुआ कि तुम्हारे बिना मेरा अस्तित्व अधूरा है और रहेगा भी सदैव…
तुम्हारे संग मंजिल तक नही जाना है मुझे,
मंजिल ही कठिन है बहुत पर हाँ जब भी समय मिला बस एक लम्बा सफर तय करना चाहती हूं तुम्हारे संग, जानते हो मैंने कभी ये ख्वाहिश नही की है कि तुम मेरे हो जाओ पर हां ये ख्वाहिश जरुर की है मैं तुम जहाँ रहना हर पल के लिये खुश रहना..
जानते हो न तुम तुझे दूर से चाहत मंजूर है ,कि प्रेम तो वो भी करते हैं जो इज़हार नही किया करते हैं ये तूमसे बेहतर कौन जान सकता है..
न जाने क्यों तुम्हारे सामने शब्दों की कमी हो जाती है,अपने हृदय के भावो को कह नही पाती,
लगता है जैसे सारे शब्द कही खो गए हैं,तुम मेरे एक ख्वाहिश पूरी क्यों नही कर देती हो, मेरा हाथ थाम कर मेरे शब्दों को अपनी एक कविता का रूप दे दो न, और मेरे हृदय की व्याकुलता को शांत कर दो न तुम्हें पता नहीं है कि मेरे जीवन में कठिन समय चल रहा हैं या परेशान हूं मै, मै कभी समझ ही नहीं पाती हूँ कि चल क्या रहा है पता नहीं क्यों..? जब तुम इतने दूर हो तो ये यादें क्यों है मेरे दरम्यान मे, हर वक्त तो तुमसे बातें नही हो सकती फिर ये खामोशियां क्यों हैं…हर पल तों तुम्हें देख नही सकती तों फिर व्याकुलता क्यों हैं…. अपनी आंखें बंद कर के और एक गहरी सांस लेती हूँ और अपने अंतर्मन से कहना चाहती हूं कि, तुम हमेशा खुश, स्वस्थ रहों @स्वरा कुमारी आर्या 📝