प्रेम जिंदगी की इबाबत
* प्रेम जिन्दगी की इबाबत *
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न शिकवा न कोई शिकायत
खुदा की है मुझ पर इनायत
जिसको चाहा वो मिल गया
यह किस्सा यही है रिवायत
सब कुछ खोकर उसे पाया
जिन्दगी की यही नियामत
जो मिला मैं लायक ना था
कुदरत की है खूब रहमत
खुशनसीब को प्रेम मिलता
कबूल हुई दुआ खुशामद
सुखविंद्र प्रेम अमूल्य निधि
प्रेम जिन्दगी की इबाबत
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)