प्रेम गीत
प्रेम के गीत हम गुनगुनाएँ सदा ,
प्रीत की रीत को हम निभाएँ सदा ।
मैं चकोरा बनूँ तुम बनो चंद्रिका ,
कल्पना मे तेरी भावनाएं सदा ।
मन मचलने लगा ले के अंगड़ाइयाँ ,
धूप में थम गईं जैसे परछाइयाँ।
दर्पणों मे दिखे रूप की चाँदनी ,
झुरमुटों मे लगे जैसे चिंगारियाँ।
रूपसी देख दिल मुस्कराने लगा ,
दिल सुरों को धुनों मे सजाने लगा ।
रूप को देख कर बज गयी घंटियाँ ,
रूप ही रूप को जब लजाने लगा ।
जागता रात भर वेदना ये लिए ,
मान भी जाओ ना तुम हमारे लिए ।
नौलखा हार है क्या अनोखा जड़ा,
चाँद की चाँदनी है तुम्हारे लिए ।
जाग कर रात भर तारे गिनता रहा ।
करवटें , सलवटें गिन सिसकता रहा ।
आँसुओं की झड़ी जो लगी देख कर ,
कश्मकश से भरा दिल मचलता रहा ।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव , सीतापुर 14 -02- 2018