प्रेम गीत पर नृत्य करें सब
शरद चंद्र सा धबल धबल, अंतस मेरा हो जाए
शरद चंद्र सी शीतलता, वाणी में बरसाए
प्रेम मगन मन नृत्य करे,मन जन जन का हरषाए
कामनाओं से मुक्त, अंतस नील गगन हो जाए
बरसे प्रेम प्रीत प्रेमामृत, हर मन प्रेम मगन हो जाए
प्रेम गीत पर नृत्य करें सब,महारास हो जाए।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी