Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Dec 2021 · 1 min read

प्रेम के सागर सी मैं

प्रेम के सागर सी मैं पर
प्रेम मिले न कहीं से एक बूंद भी
फिर मैं सागर हूं किसका
प्रेम की बूंदों का या
मन की आंखों से छलकते
आंसुओं की सदाओं के
झरनों का।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
अपनेपन की रोशनी
अपनेपन की रोशनी
पूर्वार्थ
कभी शांत कभी नटखट
कभी शांत कभी नटखट
Neelam Sharma
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
SHAMA PARVEEN
*नज़ाकत या उल्फत*
*नज़ाकत या उल्फत*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"ख़ूबसूरत आँखे"
Ekta chitrangini
2397.पूर्णिका
2397.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
कवि दीपक बवेजा
अपने  में वो मस्त हैं ,दूसरों की परवाह नहीं ,मित्रता में रहक
अपने में वो मस्त हैं ,दूसरों की परवाह नहीं ,मित्रता में रहक
DrLakshman Jha Parimal
करने लगा मैं ऐसी बचत
करने लगा मैं ऐसी बचत
gurudeenverma198
"उड़ान"
Yogendra Chaturwedi
कलानिधि
कलानिधि
Raju Gajbhiye
मैं और मेरी फितरत
मैं और मेरी फितरत
लक्ष्मी सिंह
चांदनी रातों में
चांदनी रातों में
Surinder blackpen
कुछ ये हाल अरमान ए जिंदगी का
कुछ ये हाल अरमान ए जिंदगी का
शेखर सिंह
न्याय यात्रा
न्याय यात्रा
Bodhisatva kastooriya
🙅बदली कहावत🙅
🙅बदली कहावत🙅
*Author प्रणय प्रभात*
हजारों के बीच भी हम तन्हा हो जाते हैं,
हजारों के बीच भी हम तन्हा हो जाते हैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*भारत माता की महिमा को, जी-भर गाते मोदी जी (हिंदी गजल)*
*भारत माता की महिमा को, जी-भर गाते मोदी जी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दोहा मुक्तक -*
दोहा मुक्तक -*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
राहों में उनके कांटे बिछा दिए
राहों में उनके कांटे बिछा दिए
Tushar Singh
किताबों से ज्ञान मिलता है
किताबों से ज्ञान मिलता है
Bhupendra Rawat
गाँधी हमेशा जिंदा है
गाँधी हमेशा जिंदा है
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मौन सभी
मौन सभी
sushil sarna
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*
*"माँ कात्यायनी'*
Shashi kala vyas
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
केवल भाग्य के भरोसे रह कर कर्म छोड़ देना बुद्धिमानी नहीं है।
केवल भाग्य के भरोसे रह कर कर्म छोड़ देना बुद्धिमानी नहीं है।
Paras Nath Jha
प्रेम
प्रेम
Dr. Shailendra Kumar Gupta
पर्वत 🏔️⛰️
पर्वत 🏔️⛰️
डॉ० रोहित कौशिक
मियाद
मियाद
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Loading...