प्रेम के संग होली
रंग पे न डालो भंग,
अपनी-अपनी पसंद को उठा लो,
रंगों के संग खेलनी है होली,
लाल गुलाल को भी उड़ा लो,
लाल हरा नीला पीला गुलाबी,
सारे हैं रिश्तों के अंग,
घुल-मिल जाओ मन का द्वेष मिटाओ,
ठेस पहुंँचे किसी के ह्रदय को,
मदहोशी में न ऐसा उत्पात मचाओ,
प्रेम के संग होली मनाओ,
खेल लो आज खूब होली,
गली-गली घूमे बच्चों की टोली,
लुका – छिपी सी खेलो होली,
गाल ग़ुलाल पे खेलो होली,
एहसासों की खेलो होली,
मन के रंगों से खेलो होली,
सम्मान से खेलो होली,
खुशी मिले बस खेलो होली,
गले मिलो और खेलो होली,
संगीत सुनो और खेलो होली,
नृत्य करो और खेलो होली,
मिष्ठान चखो फिर खेलो होली,
हंँसी ठिठोली की है होली,
होली! होली !होली! होली!
✍🏼
बुद्ध प्रकाश ,
मौदहा हमीरपुर ।