Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Apr 2021 · 2 min read

प्रेम की राह पर-7

लाल सिंह- हाँ क्यों नहीं।उन्होंने सर्वदा विचार रूपी जलजीरे की स्वाद वाली साधारण व्यक्तित्व से प्रभावित भाषिक पूरी का सेवन किया।मुंशी जी का साधारण व्यक्तित्व असाधारण था।पढ़ने के बहुत शौकीन बहुत थे।पुस्तक की दुकान पर नौकरी की मात्र पढ़ने के उद्देश्य से की।मुंशी जी के नाम के विषय में भी मतभेद है जो एक स्थान पर अध्ययन में आया। मसाला थोड़ा बढ़ जाएगा इस प्रकरण का।मुंशी जी का साहित्य स्वयं में विशेष है।आज का कहानीकार कहानी लिखकर नापता है उसकी छलाँग को यह कितना कूँदी,इस कुंदाहट में उतर जाती है उसकी झण्ड।क्यों।यों।कि जो मज़ा गन्ने की चीनी में है वह मजा नहीं है चुकन्दर वाली चीनी में और तो सब विकल्प हैं।हाँ हाँ तुम समझ गई होंगी यह सब अमीरी के झण्डरूपी चोचले हैं।मूँगफली कभी बादाम नहीं बन सकती।पर बात ऐसी है कि बादाम भी कभी मूँगफली नहीं बन सकता है।मुंशी जी की कहानी में कोई परिवर्तन नहीं होता है।मुंशी जी की कहानियाँ,कहानियाँ हैं,आज के समय की दीवानियाँ नहीं हैं,जो बाज़ार मा नया आइटम देखकर उसके पीछे लग जाती हो।उनकी स्थिति गंगाजल जैसी ताज़ी बनी रहती है।उनकी कहानियों में दिलचस्पी,संजीदगी,सिफ़त और अन्य सभी प्रक्षिप्त गुण रस्सी की तरह इठे हुए हैं जो समय समय पर अपने मुस्कुराते चेहरे से दन्तावली की चमक जैसी रोचकता प्रकट करते रहते हैं और रमणीयता भी।उनकी कहानियाँ कभी मानवीय मन की प्रफुल्लता रूपी नृत्य से मना नहीं करतीं हैं वे उस ग्रामीण औरत की तरह हैं,यदि उसे हिप-हॉप की ज़रा से भी समझ हो,तो “मेरा रंग दे बसन्ती चोला” पर भी हिप-हॉप कर दे।भरतनाट्यम तो बहुत दूर की बात रही।इतना समय हो जाने के बाद भी एटलस की साईकल जैसा आनन्द मुंशी जी की कहानियों में प्राप्त हो जाता है।मुंशी की कहानी में यदि इंजेक्शन यदि लौकी के लगे तो ऐसा लगता है कि अपने ही लग रहा है।मुंशी जी का साहित्य हिन्दी साहित्य में विश्वास प्रकट करता है।उस व्यक्ति के लिए यह और भी अधिक विशेष हो जाता है जो साहित्य की यमुना से कोशों दूर हैं।वैसे शास्त्रों में यमुना को मोहभंजक कहा है,परन्तु यहाँ इससे भिन्न ,मुंशी जी के साहित्य में प्रस्तवित होती साहित्यिकयमुना,विशुद्ध साहित्यिकमोह का उद्गम कराती है।यह मोह पाठक को साहित्य के चिन्तन,मनन और निदिध्यासन का मञ्जुल प्रेमी बना देता है।वह उन्मत्त हो जाता है साहित्यिकवारुणी का पान कर।द्विवेदीजी की लाली यहाँ यह ध्यान रखना जरूरी है कि इस झन्ड सहित झंड तीन बार उतरी है।गिन लेना।
द्विवेदीजी की लाली-अब यह तुम्हारी पोपलीला समाप्त हुई हो तो वैदिक और उत्तर वैदिक काल की मखमली झण्ड उतार दो और एक आध जोरदार उदाहरण प्रस्तुत भी करो।

(अग्रिम पात्र-इस उपन्यास में दो पात्र और जुड़ गए हैं-एक डीके और एक पाण्डेय जी का लड़का।कुछ समय के लिए प्रशांत सिन्हा भी अपनी झण्ड उतर वाने को इसमें प्रवेश करता है। पर उसको कई मैसेज किये कोई जबाब न दिया।शायद वह डर गया।पाण्डेय जी के लड़के के बारे में जानकारी यह है कि वह गोवा और औली घूम कर –——————–शेष आगे)

Language: Hindi
276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...