प्रेम की मूरत
प्रेम की मूरत
माँ तेरे बिना इस दुनियां में ,कहीं भी जन्नत नहीं
तेरी बस रहमत रहे, दुनियां से कोई भी मन्नत नहीं
सर पे सदा तेरा हाँथ रहे, दिल में प्यार बेशूमार रहे
माँ गर ख़फ़ा हो ,उस रब की भी कोई रहमत नहीं
जग सूना ये संसार सूना, माँ तेरे बिन ये जहां सूना
तुझसे ये जहां सारा तेरे सिवा कोई सोहबत नहीं
तुम बिन नहीं है कोई, ना ही कोई है तुझ जैसा
जग में ऐसा मोल नहीं ,लगा सकता कोई कीमत नहीं
प्रेम प्यार की मूरत हो तुम ,त्याग ,समर्पण रखती हो
‘ममता’ से भरा दिल ये तेरा ,तुझसा कोई उल्फ़त नहीं
ममता रानी
क़ुरबत-निकट का संबंध
सोहबत-साथ
उल्फ़त-प्यार