“*प्रेम की भाषा*”
प्रेम की भाषा प्रेम ही जाने,
प्रेम पिपाशा प्रेम ही जाने।
प्रेम शहर के प्रेम नगर के,
हर गली में प्रेम तलाशा प्रेम ही जाने।
प्रेम लहर है प्रेम डगर है,
प्रेम प्यार का दोपहर है।
प्रेम की नशा प्रेम ही जाने,
प्रेम की काशा प्रेम ही जाने।
प्रेम पिपाशा प्रेम ही जाने।।
प्यार प्रेम को प्रेम पुकारे,
प्रेम नहीं है प्रेम तुम्हारे।
प्रेम सहारे प्रेम किनारें,
जिसने जग जीता वो आकर प्रेम में हारे।
प्रेम की लाशा प्रेम ही जाने,
प्रेम पिपाशा प्रेम ही जाने।।
प्रेम हुस्न है प्रेम जश्न है,
प्रेम ज़माने का कैसा रस्म है।
प्रेम निराशा प्रेम ही जाने,
प्रेम पिपाशा प्रेम ही जाने।।
प्रेम में हम हैं प्रेम में तुम हो,
प्रेम-प्रेम में क्यों तुम गुम हो।
प्रेम की आशा प्रेम ही जाने,
प्रेम पिपाशा प्रेम ही जाने।।
प्रेम कठिन है प्रेम जटिल है,
प्रेम आखिर क्यों मुश्किल है?
प्रेम की प्रत्याशा प्रेम ही जाने,
प्रेम पिपाशा प्रेम ही जाने।
प्रेम की भाषा प्रेम ही जाने,
प्रेम पिपाशा प्रेम ही जाने।
प्रेम पिपाशा प्रेम ही जाने।।