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18 Feb 2022 · 1 min read

प्रेम की बीमारी

तुम्हारी यादों में हमने,
सारी रात गुजारी है।
रातभर करवटें बदली और
चांद-तारों को निहारा है।
कशमकश में सोचता रहा,
क्या मुझ पर रात भारी है!
अचानक यह ख्याल आया,
मुझको प्रेम की बीमारी है।

मुस्कुराकर हमने यह सोचा,
कि तेरे इश्क़ में बावला हूँ।
तुम हो अंगूर की मदिरा,
मैं काँच का प्याला हूँ।
अगर तेरा आस्वादन हो जाये,
हो जाऊँ; मैं आशिक मतवाला।
रसिकों ने ठीक ही बोला है,
इश्क सचमुच बीमारी है।

तुझको पाने को रहता है,
इच्छुक हृदय मेरा निकम्मा।
तू मिल जाये तो जन्नत है,
न मिले तो क्या गम है!
इश्क में बदनाम हुए हैं,
यही सब लोग कहते हैं।
गांव में लोग कहते हैं,
कि तू पागल-प्रेमी है।

–सुनील कुमार

Language: Hindi
1 Like · 1131 Views
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