||प्रेम की बगावत ||
“बिन तेरे सबकुछ हारा हूँ
मै गम का तेरे मारा हूँ
सुना-सुना है हर लम्हा
यादों में हर पल गुजारा हूँ
जब प्यार अकेला हो जाता है
बिन प्रेमी संग पा करके
फिर यादें तनहा हो जाती है
पत्थर दिल से टकरा करके
ख्वाब अधूरे रह जाते है
क्यों मंजिले गुमराह हो जाती है
चुमके साहिल को लहरें
फिर क्यों सागर में खो जाती है
खद्योतों जैसा झिलमिल मन
क्यों पल में बहक सा जाता है
प्रेमी संग जीने की लालच में
क्यों अपनों से बगावत कर जाता है ||”