प्रेम की परिधि में
बाँध लूँ तुमको प्रेम की परिधि में
न कोई सीमा हो न कोई हो अन्त
मेघ ज्यों समाए हो आ बारिधि में
सिमट कर खोए रहे हम अनन्त
बाँध लूँ तुमको प्रेम की परिधि में
न कोई सीमा हो न कोई हो अन्त
मेघ ज्यों समाए हो आ बारिधि में
सिमट कर खोए रहे हम अनन्त