प्रेम की नाता जोड़
प्रेम की नाता जोड़
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जब जब युद्ध हुआ देशों में,
तब तब शरणार्थी संकट फंसा लोगो में।
जीवन भी क्या चीज है,
कहां से कहां पहुंच जाते है।
एक बित्ता पेट के कारण,
देश को भी छोड़ जाते हैं।
सड़क मार्ग हो या समुद्री मार्ग,
संकट से नहीं घबराते हैं।
आंधी आए या पानी आए,
मौत से टकरा जाते हैं।
हिंसा इनका प्रमुख कारण,
कैसे निपटा जाएगा।
मानव की एक ही जाति हो,
भाई चारा बन जाएगा।
छुआछूत धर्म संप्रदाय को,
बंद करना अब पड़ेगा।
दूसरों का सम्मान कर लो,
प्रेम सूत्र में बंध जाएगा।
हिंसा को त्याग कर ,
प्रेम की नाता जोड़।
पलायन की समस्या न आएगा,
एकता की मिसाल बन जाएगा।
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डिजेंद्र कोहिनूर की कलम से………
(विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर)