प्रेम का ‘सैक्सी’करण !
जिस दिन मुन्नी की बदनामी को हंस कर देश ने स्वीकारा था
जिस दिन शीला की जवानी पर, बुड्ढे तक ने ठुमका मारा था
मारा था शालीनता को , प्रेम की पवित्रता को मार दिया था
यहाँ तक की राधा को भी, ‘सैक्सी’ करार दिया था,
उस दिन मुझे लगा था की ,
अब हो रहा हैं
प्रेम का सैक्सीकरण..
जिस दिन से खत्म हुई
प्रेम की एकनिष्ठता,
एक नही ,
दो नही,
तीन-तीन
चार-चार से
बढ़ी
एक ही की घनिष्ठता
उस दिन मुझे लगा था की ,
अब हो रहा हैं
प्रेम का सैक्सीकरण..
जिस दिन पुरे परिवार ने साथ बैठकर
नग्न चित्र देखे,
जिस दिन पार्क में झाड़ियों के पीछे
चिपके कुछ अल्हड़ मित्र देखे
उस दिन मुझे लगा था की,
अब हो रहा हैं
प्रेम का सैक्सीकरण..
जिस दिन राम जपने के दिनों में
बुड्ढे ठर्कियों ने अपनी ‘इश्कमिजाजी’ को
अपनी ‘एनर्जी’ का नाम दिया,
जिस दिन बाप ने अपने ही पवित्र रिश्ते को
बदनाम किया
उस दिन मुझे लगा था की ,
अब हो रहा हैं
प्रेम का सैक्सीकरण…
– नीरज चौहान