प्रेम का विस्तार
प्यार को बांटे,
सब को अपना बना लें
जरूरी कभी नहीं रहा ,खून के रिश्तों का होना
यशोदा ,कृष्ण ,एक प्राण दो देह
स्नेह की डोरी से सबको बांध ,
ह्रदय से लगाते जाओ
अगर किसी की जिंदगी ,इससे सुधरती है ,
कितनी बड़ी बात है,
प्रेम की छांव बहुत शीतलता देती है , अकेलेपन की ताप,
धीरे धीरे कम हो जाती है,
प्रेम के विस्तार से,
कितनो को मिलेंगे ,
अपने प्रश्नों के उत्तर ,संतोष ,राहत
जो अभी तक थे आहत अपना बना कर तो देखें ,
दिल से दिल लगाकर तो देखें ।