प्रेम का दीप
ह्रदय द्वार पर दीप प्रेम का
आओ एक जलाएं
रोशन हो यह दुनिया सारी
अपने कौन पराए
प्रेम का दीया स्नेह की बाती
सदभाव का तेल जलाएं
नव प्रकाश भर जाए जगत में
नव बिहान ले आएं
अंबर बर्षा करें प्रेम की
धरती नेह लुटाए
ज्योति से ज्योति जले हर दिल की
ये जग जगमग हो जाए
दिल से गायें गीत प्रेम का
मनसे हाथ बटाएं
खुशियां बांट रही धरती मां
सब मिलकर इसे बचाएं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी