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31 Jul 2020 · 1 min read

प्रेम का दीपक जो दिल में जल रहा है

ग़ज़ल
प्रेम का दीपक जो दिल में जल रहा है।
स्वार्थ का तम उसके नीचे पल रहा है।।

प्यार में उसके कोई कब छल रहा है।
प्यार मां का तो सदा निश्छल रहा है।।

हम बने हैं किरकिरी आँखों की उसकी।
जो हमारी आँखों का काजल रहा है।।

ये निगल जायेगा ही सुख चैन तेरा।
लोभ का अजहर जो दिल में पल रहा है।।

चल रहा बैसाखियों पर जो किसी की।
आदमी वो ही सदा निर्बल रहा है।।

मिल ही जायेगा अनीस अब ढूंढ़ने पर।
हर मुसीबत में छुपा भी हल रहा है।।
– अनीस शाह “अनीस”

4 Likes · 6 Comments · 263 Views
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