प्रेम का असली सौंदर्य तो प्रतीक्षा में दिखता है, जहां धैर्य
प्रेम का असली सौंदर्य तो प्रतीक्षा में दिखता है, जहां धैर्य और समर्पण का दीपक जलता है। मिलन की मृगतृष्णा में प्रेम की पवित्रता खो जाती है, प्रतीक्षा की राह ही प्रेम की असली मंजिल बन जाती है।।✨🕊
प्रेम में प्रतीक्षा एक सत्विक और निर्मल भावना का निर्माण करती है, जो आत्मा को गहराई से स्पर्श करती है। प्रतीक्षा के क्षणों में प्रेम की पवित्रता और उसकी सच्ची गहराई प्रकट होती है। यह समय प्रेम को परिपक्व बनाता है, जिसमें धैर्य और समर्पण की परीक्षा होती है।
दूसरी ओर, मिलन का अनुभव कभी-कभी तामसिक हो सकता है, जहाँ इच्छाओं की तीव्रता और भावनाओं की अत्यधिकता प्रेम को उसकी सच्ची पवित्रता से दूर ले जाती है। मिलन में प्रेम की तृष्णा और भोग की प्रवृत्तियाँ उभर सकती हैं, जो प्रेम के सत्विक स्वरूप को बाधित कर सकती हैं।
इसलिए, सच्चा प्रेम प्रतीक्षा में अपनी सत्विकता को प्राप्त करता है, जबकि मिलन में अक्सर तामसिकता का प्रवेश हो जाता है। प्रतीक्षा का यह सत्विक प्रेम ही आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करता है।