प्रेम-कहानियां
प्रेम-कहानियां
सिर्फ किताबों में ही अच्छी लगती हैं,” एक बुजुर्ग ने मुझसे कहा।
मैंने हैरानी से पूछा, “क्यों दादाजी?”
बुजुर्ग मुस्कुराते हुए बोले, “अनुभव से कह रहा हूँ, सिर्फ किताबों के किरदार अपनी नियति , फितरत और बातों से पलटा नहीं करते और हालातों के बहाने नहीं बनाया करते “